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नयी सोच

मैं अपनी कक्षा मे एक नयी सोच के साथ जाती हूँ। मुझे लगा की हम कुछ बच्चो पर ज्यादा ध्यान दे पाते है। जो की ज्यादा आगे होते है। लेकिन जो बच्चे पीछे बैठते है। उनकी याद भी होता है | लेकिन उन्हें कुछ भी बोलने में घबराहट होती है। मैं उनकी इस घबराहट दूर करना चाहती हूँ। तो मैंने एक नयी सोच के साथ एक शुरुआत की  मैंने सभी बच्चों से कहा की सभी बच्चे अपने नाम के साथ -साथ अपनी पसंद की एक मिठाई के बारे में बतायेगे।   

और जो पसंद नहीं है उसके बारे भी बतायेगे। अगले दिन मैंने एक कहानी सुनाई और सबसे कहा कि सभी बच्चे  इस कहानी में बतायेगे की क्या अच्छा है और क्या बुरा हे। मैने देखा कि तीन से चार दिन जो ३० मिनट मैने बच्चो  के साथ उनकी पसंद और नापसंद के बारे में बिताये उसके बाद कक्षा में सभी खुश थे और पढ़ाई भी मन लगाकर कर रहे थे।  













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