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सफल होने के लिए जिंदगी की सोच

             हमे खुद पर विश्वास होना चाहिए 

प्रत्येक छात्र सोचता है की में अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद किसी ऐसे फिल्ड में जाना चाहूंगा। जाहे से मुझे  मेरी और मेरे परिवार का सही ढंग से पालन पोषण हो पाय किन्तु अगर किसी व्यक्ति की जिंदगी में ऐसा नहीं हुआ   तो उसकी सोच में कुछ फर्क नजर आता है वह हमेशा खोया और खामोश रहने लगता है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए | क्योकि पढ़ाई कभी समाप्त नहीं होती है।  

अगर हमे किसी एक फिल्ड से सफलता नहीं मिलती है तो और दूसरे फिल्ड में जाना चाहिए। लेकिन हमे  खुद को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। हमे खुद पर गर्भ होना चाहिए की हमने इंसानी रूप में जन्म लिया है। और हमे यह भी पता है की एक इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। हमे हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए। तभी हम अपनी जिंदगी में कुछ हासिल कर सकते है। नहीं तो हमे कुछ भी हासिल हो ही नहीं सकता। 

          एक कछुआ और खरगोश की कहानी

 जैसे एक कछुआ और खरगोश की कहानी तो अपने पढ़ी या सुनी होगी। एक जंगल में बहुत से जानवर रहते थे  उनमे एक खरगोश और कछुआ भी था। दोनों में बड़ी मित्रता थी लेकिन खरगोश हमेशा कछुए की हँसी उडाता था एक बार खरगोश और कछुए में प्रतियोगता हुई की पहले उस स्थान पर कौन पहुंचेगा। लेकिन खरगोश को तो अपने आप पर घमंड था।  

उसने सोचा की में तो इससे बहुत तेज दौड सकता हूँ। ये तो मुझे नहीं हारा सकता में इससे जीत जाऊगा। जंगल के सरे जानवर इस प्रतियोगता को देखने के आ गए। प्रतियोगता में क्या होना था एक पहाड़ पर चढ़ना था। तभी खरगोश और कछुया दौडने लगे खरगोश को लगा की में तो उससे बहुत आगे निकल चूका हूँ। 

 थोड़ा सा आराम कर लू और खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा ठंडी ठंडी हवा चल रही थी तभी  खरगोश को उस पेड़ के नीचे बहुत ही जबदस्त नींद आ गयी और वह सो गया। लेकिन कछुए को तो अपने आप पर विश्वास था और वह लगातार दौड़ लगता रहा। खरगोश को पता भी नहीं चला की कछुआ उससे किस समय आगे निकल गया। जब खरगोश निंद्रा से जागा तो उसने अपने आप को हारा हुआ पाया। जिस प्रकार एक तेज दौड़ने बाला खरगोश एक धीरे चलने बाले कछुए से हार गया। 

                           बून्द बून्द से घड़ा भरता है

इसलिए कहते है की कल करो सो आज कर आज करो तो अभी। क्योकि कभी भी हमे अपने काम को आने बाले कल पर नहीं छोड़ना चाहिए नहीं तो हमारा कल कभी आयेगा ही नहीं। थोड़ा ही सही हमे कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। तभी हमे कुछ प्राप्त कर पाएंगे क्योकि बून्द बून्द से घड़ा भरता है।  

और उसमे हमारा समय भी ख़राब नहीं होता है अगर हम सोचेंगे की हम सब कुछ एक साथ कर लेंगे तो ये नहीं हो सकता है। जिस प्रकार से अगर हम एक घड़े को भरना है तो उसमे हमे थोड़ा थोड़ा पानी ही डालकर भरते है न की हम उसमे एक साथ पूरी बाल्टी उड़ेल देते। अगर हमने ऐसा किया तो हमारा पानी ख़राब जायेगा और बिखर जायेगा। 

इसलिए हमे इन सभी कहानियों  से सीख मिलती है की हमे कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। हमेशा कोई भी काम करे तो उसे सोच समझकर करे। 



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