अध्यापक और शिक्षार्थी के कर्तव्य -->

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अध्यापक और शिक्षार्थी के कर्तव्य

         अध्यापक और शिक्षार्थी के कर्तव्य 


एक अध्यापक और शिक्षार्थी में एक लगन होनी चाहिए शिक्षार्थी को लगन से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए और अध्यापक को शिक्षा लगन से देनी चाहिए अध्यापक शिक्षा देते समय शिक्षा को व्यापार नहीं समझना चाहिए।  अध्यापक को शिक्षा को देना अपना कर्तव्य समझाना चाहिए। और शिक्षार्थी को भी यह नहीं समझना चाहिए की हम एक व्यपार सीख रहे है। शिक्षार्थी को शिक्षा को  एक उपयोगी और अपने आप को सही जिंदगी देना होता है। अगर शिक्षार्थी यह समझ लिया की वह अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता है तो शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण कर पाते  है नहीं तो वे हमेशा भटकते रहते है और जिंदगी में हमेशा परेशान  दिखाई देते है। 

       अध्यापक और विद्यार्थी के रिश्ते कैसे होने चाहिए

१. आप एक अध्यापक हो तो आप अपनी कक्षा के सभी विधार्थियो को नाम से पहचाने और आपको सभी का नाम याद होना चाहिए। जिससे आप प्रत्येक विधार्थी को नाम लेकर पुकार सकते हो और इस प्रकार से विधार्थी को भी लगेगा की गुरु जी मुझे भली भाती पहचानते है। फिर उसका मन पढ़ाई में अच्छा लगेगा। 

२. अगर विधार्थी गलती करते है तो उन्हें प्यार से समझाए। और उन्हें आगे से गलती ना करने के लिए प्रोत्साहित करे। उन्हें बताये की गलती हर व्यक्ति का अहम हिसा है क्योकि जो गलती करता है वो ही सीखता है। लेकिन हमे उन्ह गलतियों को हमेशा नहीं करनी चाहिए। जो गलती एक बार हो गयी दुबारा उस गलती कको नहीं करना चाहिए। 

३. विधार्थियो से मित्रता करे अगर आपको एक अच्छा अध्यापक बनाना है। तो आपको अपने सभी विधर्थियो से मित्रता करनी होगी जिससे विधार्थियो में एक प्रकार का डर पैदा नहीं होगा। और वो अपनी समस्या आपको बतायगे और अपनी व्यक्तिगत समस्या को भी आपसे बतायगे। 

४. उनकी प्रतिभा को पहचाने आप एक अच्छे अध्यपक तभी बन सकते है जब आप विधार्थियो की प्रतिभा को पहचान सकते हो और उसे अधिक निखार सकते हो आप देख सकते हो की बच्चा कौन से विषय पर अधिक जोर दे रहा है। और उन्हें नई नई  प्रतियोग्यता करनी चाहिए जिससे आप को बच्चे का पता चल जायेगा। और उसे ईनाम देकर उसका हौसला बढ़ाये।  






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