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बाल विकास क्या है ?

                     बाल विकास 

बाल विकास का सामान्य अर्थ होता है। बालको का मानसिक और शारीरिक विकास होना। विकास एक न रुकने वाली प्रक्रिया है। ये माँ के गर्भ से ही सुरु हो जाती है। और मृत्यु तक चलती रहती है। कुछ समय तक बालक की शारीरिक विकास में तेजी देखने को मिलती है। और मानसिक अवस्था में कुछ धीमी गति देखने को मिलती है। जब बालक किशोर अवस्था में आ जाता है।  

बाल विकास


उस समय बालक की शारीरिक और मानसिक विकास की गति में तेजी देखने को मिलती है। आपने देखा होगा की जब एक बालक किसी वस्तु को छूना या पकड़ा चाहता है। तो पहले वो उसे अपने हाथो से इधर उधर कर देता है।  
लेकिन जब बालक कुछ बड़ा हो जाता है। तो वह उसी काम को बोल कर कर लेता है। 

            बाल विकास को प्रभावित करने वाली स्थिति 

बाल विकास को प्रभावित करने वाली स्थिति दो प्रकार की होती है। 
१. आन्तरिक स्थिति 
२. बाह्य स्थिति 

१. आन्तरिक स्थिति 

बाल विकास को आन्तरिक स्थिति बहुत अधिक प्रभावित करती है। जो की विकास के लिए महत्वपूर्ण आधार होता है। आन्तरिक स्थिति को पांच भागो में बाँटा गया है। 

( क ) आनुवंशिक स्थिति 
( ख ) शारीरिक स्थिति 
( ग ) बुद्धि स्थिति 
( घ ) सामाजिक स्थिति 
( ड़ ) भावुकता स्थिति 

( क ) आनुवंशिक स्थिति 

बालक के रंग, रूप और आकार, शारीरिक गठन ,ऊंचाई के निर्माण में उनके माता पिता के गुणों का महत्व बहुत अधिक प्रभावित करता है। 

( ख ) शारीरिक स्थिति 

जो बच्चे बचपन में दुवले पतले या किसी बीमारी से ग्रस्त होते है | उनके मुकावले जो बच्चे शारीरिक स्वस्थ होते है।  दुवले पतले बच्चो का विकास धीमी गति से होता है। 

( ग ) बुद्धि स्थिति 

जिस प्रकार एक बालक सीखने  या निर्णय लेने का अधिकार लेता है। या जिस प्रकार बालक की सीखने की गति बहुत तेज होती है। बालक अपने परिवार और आस पास के माहौल में किस प्रकार ढाल लेता है ये सब उस की बुद्धि की स्थिति को दर्शाता है। 

( घ ) सामाजिक स्थिति 

बालक समाज से जो सीखता है वो उसको कभी नहीं भूलता है। इसलिए बालक के जीवन में एक समाज का बहुत अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। क्योकि बालक समाज से हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण करता है। 

( ड़ ) भावुकता स्थिति 

बालक में जिस प्रकार के भावो का जिस रूप में विकास होगा वह उसके सामाजिक ,मानसिक तथा भाषा सम्बन्धी विकास को पूरा तरह प्रभावित करता है। 

२. बाह्य स्थिति 

बाह्य स्थिति चार प्रकार की होती है। 
  1. गर्भावस्था में माता का स्वास्थय 
  2. जीवन की घटनाएँ 
  3. भौतिक घटनाएं 
  4. आर्थिक घटनाएँ 



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