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भाषा किसे कहते है

            भाषा किसे कहते है 

अपने मन के विचारो को प्रकट करना भाषा कहलाती है। अगर हमारी भाषा को दूसरा व्यक्ति सुन या समझ रहा है तो हमारी भाषा का आदान प्रदान हो रहा है। इसलिए आप समझ सकते है की भाषा को बोल या लिखकर समझना ही भाषा है। 

language

                          भाषा के प्रकार 

 भाषा दो प्रकर की होती है 

१. मौखिक भाषा २. लिखित भाषा 

     १. मौखिक भाषा

मौखिक भाषा क्या होती है ? जब हम दुसरो को बोलकर किसी भाषा का ज्ञान देते है तो वह मौखिक भाषा कहलाती है। जैसे रेडियो में जब आप समाचार सोते है तो जो व्यक्ति उसमे बोलता है वह अपने भाव को बोलकर व्यक्त करता है। या कोई नेता अपनी स्पीच देता है तो वो मौखिक कहलाती है। और  भी बहुत से उदाहरण है जब हम अपनी कक्षा में होते है तो अध्यापक हमसे कविता या पाठ पड़ने के लिए कहते है। 

     २. लिखित भाषा 

लिखित भाषा वह भाषा होती है जो हम लिख कर व्यक्त करते है। जैसे अपने प्रधानाचार्य को छुट्टी के लिए पत्र लिखना ,परीक्षा में पेपर लिखना या दूर बैठे किसी को पत्र लिखना ये लिखित भाषा के अधीन आते है। लिखित भाषा को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। सरकारी काम में तो इसका बहुत ही महत्व है। अगर आपको किसी भी प्रकर की छुट्टी चाहिए तो आप लिखकर ही ले सकते है। यहाँ आप बोलकर नहीं कर सकते है। 

एक और भाषा होती है जिसका हम हिंदी में कम प्रयोग करते वो है संकेतिक भाषा इसको हम केवल संकेत के द्वारा ही समझ सकते है। जैसे अपने देखा होगा की जो ट्रैफिक पुलिस होती है वो केवल संकेत के द्वारा ही हमे समझती की हमे बाएं जाना है या दाये।  

संकेतिक भाषा का उपयोग कहा होता है 

इस भाषा का अधिक उपयोग होता है। जो व्यक्ति बोल और सुन नहीं सकता है उस के लिए इस भाषा को उपयोग किया जाता है। इसे हम हस्तकला भी कहते है इसलिए हम बोल सकते है की हाथो के द्वारा या इशारे से समझने बाली भाषा ही सांकेतिक भाषा कहलाती है। पुरे संसार में जितने भी व्यक्ति बोल या सुन नहीं सकते है उनके लिए सभी देशो के सरकारों ने अलग से स्कूल व कॉलेज खोल रखे है। वहाँ उन्हें संकेत के द्वारा पढ़ाया जाता है। 

 दृष्टिहीन भाषा का उपयोग 

जो व्यक्ति देख नहीं सकता केवल बोल और सुन सकता है। उन व्यक्तियों के लिए इस भाषा का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के व्यक्ति को हम सूरदास भी कहते है। क्योकि सूरदास जी एक अंधे व्यक्ति थे लेकिन वे एक कवि थे तो उन तक भाषा का कैसे प्राप्त हुई। उन्होंने केवल सुन कर सभी भाषाओ का ज्ञान प्राप्त किया था।  

भाषा का महत्व -

मानव को प्रकृति से अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता मिली है। भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों ,भावनाओं ,अनुभूतियों को व्यक्त करते है। मानव की उन्नति का कारण भी भाषा है , भाषा के अभाव में मानव जीवन विशाल रेगिस्तान  समान है। 

भाषा ने ही साहित्य  जन्म दिया है। भाषा के माध्यम से बालक अपनी बात कह सकता है तथा दूसरों की बातों को आसानी से समझ सकता है। भाषा के माध्यम से ही बालक समाज के मूल्यों , आदर्शो , नियमों आदि को आत्मसात करता है। बालक समाजीकरण तभी संभव है जब परिवार , पडोसी ,मित्र और समाज के लोगों से उसका सम्पर्क सूत्र का कार्य करती है। 

भाषा के माध्यम से समानता ,राष्टीयता आदि सामाजिक गुणों का विकास होता है। भाषा के अभाव में मानव जीवन कितना कठिन और स्तरहीन है। हमारा समाज भाषा के अभाव में निश्चित रूप से असभ्य ,अविकसित और पशुस्तर पर ही होता है। 

भाषा बालकों में सामाजिक समायोजन का आधार प्रस्तुत करती है। उसका सामाजिक समायोजन तभी उत्तम होता है जब लोगों के साथ उसके सम्बन्ध मधुर हो ,भाषा के द्वारा हम  दुसरो के साथ मधुर सम्बन्ध बनाने में सफल होते है। भाषा से साहित्य का सृजन होता है और साहित्य में किसी भी देश की संस्कृति ,सभ्यता और उसके आदर्शों की झलक दिखाई पड़ती है। 

भाषा मानवीय विकास की पर्याय कही जा सकती है। आज हमारा सामाजिक भाषा के कारण ही शिक्षित और विकसित है ,आज विश्व में उच्चकोटि के साहित्य का सृजन हो सका है। यह सिर्फ और सिर्फ भाषा की ही देन है ,भाषा के द्वारा देश की संस्कृति ,सभ्यता ,रहन - सहन परम्पराओं काबोध होता है। इतना ही नहीं भाषा के द्वारा ही हम अपने आदर्शो ,भावों ,अनुभवों एवं परम्पराओं को आने वाली पीढ़ी को हस्तान्तरिक भी करते है। इस प्रकार हम कह सकते है कि भाषा कुशल संदेशवाहक है। 


 


लेकिन इसके बावजूद पुरे संसार में और भी अनेको भाषाएँ बोली जाती है। लेकिन भारत में हिंदी भाषा अधिक बोली जाती है। 

                                                        आपका दिन शुभ हो 
 

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