गन्ने की खेती के बारे में जाने
गन्ने की खेती कैसे पैदा की जाती है। आज में आपको गन्ने की खेती के बारे में बताता हूँ। गन्ने की खेती को उगने के लिए सबसे पहले हमे खेत की सही ढंग से जुताई करनी पड़ती है। उसके बाद हमे एक अच्छे किस्म का बीज चुनना पड़ता है। उसके बाद हम गन्ने के बीज को सही प्रकर से एक - एक गन्ने को देखकर उसकी छिलाई करनी पड़ती है। और उसमे जो भी गन्ना खराब दिखाई देता है उसको निकल देते है। फिर सही प्रकार के गन्ने को एक जगह पर रख लेते है।
सही गन्ने को हम खेत में कुछ दूर - दूर पर रख देते है। अपने खेत के अनुसार की हमे दूर से गन्ने को न लाना पड़े। फिर हम गन्ने को छोटे - छोटे भागो में काट लेते है। गन्ने को काटते समय हमे कुछ बातो का ध्यान रखना पड़ता है। जिसमे हमे देखना होता है की कही गन्ने की आँख तो नहीं खराब हो गयी। उसकी आँख आपने देखी है नहीं तो में आपको बताता हूँ। गन्ने के ऊपर आपने छोटे - छोटे उभरे हुए भाग देखे होंगे वही उसकी आँख होती है। उनकी आंखे खराब नहीं होनी चाहिए
खेत को तैयार करना
उसके बाद हम खेत में हल से या टैक्टर से सामान दुरी को मापकर एक समान गहराई की नाली बना देते है। फिर हम कटे हुए गन्ने के भागो को उसमे एक के बाद एक पास पास डाल देते है और उसके ऊपर खाद को भी डाल देते जब पुरे खेत में यह प्रकिया पूरी हो जाती है तो उसके बाद हमे गन्ने को ढकने के लिए पट्टा या मेहेडा का उपयोग करना पड़ता है। जिससे मिटटी से गन्ने को ढक दिया जाता है।
खेत को सही ढंग से देखने है की कही पर कोई गन्ना दिखाई तो नहीं दे रहा है जो भी दिखाई देता है तो हम फावले से उसको ढक देते है क्योकि अगर किसी भी गन्ने के भाग को हवा लग गयी तो वो ख़राब हो जायेगा या सुख जायेगा। इस प्रकर से सभी प्रकिया पूरी होने के बाद खेत को कुछ समय के लिये छोड़ दिया जाता है। फिर हम खेत को समय समय पर चेक करते रहते है। की खेत में नमी सही है नहीं तो हम उस खेत को पानी दे देते है।
खेत की देखभाल करना
और हम समय समय पर खेती की देखभाल करनी पड़ती है। की कही पर किसी प्रकार की बीमारी से हमारी खेती पर बुरा असर तो नहीं पड़ रहा है। क्योकि बुआई करने के बाद कही कही पर फसल में दीमक या किसी प्रकार के कीड़े का प्रकोप तो नहीं है।
कुछ समय के बाद उस खेत में पौध निकना शुरू हो जाती है। उसके बाद जब पुरे खेत में पौध निकल जाती है तो हम उसमे हल्का सा खाद और छिड़क देते है। जिससे खेती और भी तेजी से ऊगने लगती है इस प्रकार से हम गन्ने की खेती करते है। गन्ने की खेती हम गन्ने से ही करते है इसका कोई बीज अलग से उगने की आवश्कता नहीं होती है।
गन्ने की खेती का समय कितना होता है
गन्ने की खेती एक साल में पूरी होती है। जब खेती पूरी हो जाती है तो उसको काट लिया जाता है। और उसका गुड़ या चीनी बना ली जाती है। चीनी या गुड़ का मुख्य स्रोत गन्ना ही है। भारत का विश्व में गन्ना उत्पादन में दूसरा स्थान है। गन्ने की खेती को आप एक बार लगाकर दो या तीन बार काट सकते हो इसलिए इसको बहुबर्षीय फसल भी कहते है। गन्ने की सही खेती लेन के लिए समय भी निर्धारत किया गया है। खेती अक्टूबर,नंबर या फरवरी मार्च में लगाई चाहिए है।
गन्ने से बनने बाली उपयोगी चीजें
चीनी और गुड़ के अतरिक्त गन्ने के रस का उपयोग खीर और शक्कर बनाने में भी किया जाता है। और हम इसके रस का इस्तमाल गर्मियों के दिनों में जूस के तौर पर भी करते है। चीनी बनने के बाद जो पदार्थ बाद में बच जाता है उसको हम सीरा कहते जिसका इस्तमाल दारू बनाने में किया जाता है। गन्ने से जब रास निकल जाता है उसके बबाद जो पदार्थ बच जाता है उसको हम खोई कहते इसका इस्तमाल हम गन्ने के रस को पकाने में करते है। उसके बाद जो खोई बच जाती है तो हम उसे ईंधन के रूप में इस्तमाल करते है जिससे हम घर का खाना पकने में करते है। गन्ने की हर वो चीज जो उसके साथ होती है उसका पुरा इस्माल किया जाता है।
गन्ना एक बहुत उपयोगी फसल है
गन्ने का जो ऊपरी भाग होता है उसे हम पशुओ के चारे में इस्तमाल करते है। और जो उसका कबच या पत्ती होती है उसका हम खाद बनाते है। उसके बाद पत्ती को हम ठंड के दिनों में पशुओ को ठंड से बचने के लिए उनके नीचे डाल देते है। जिससे पशुओ को ठंड नहीं लगती है और उस पत्ती से हमे एक प्रकार का खाद मिलता है। जो देशी खाद कहलाता है क्योकि जब हम पशुओ के नीचे इसे डालते है तो पशु का मल मूत्र उसमे मिल जाता है।
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