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क्या आप जानते है गांव का सबसे बड़ा धन या मुख्य पूंजी क्या है ?

          हमारा  देश एक कृषि प्रधान देश है

हमारा  देश एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश में सब कुछ कृषि पर निर्भर है अगर देश में कृषि व्यवस्था काम नहीं करेंगी तो हमारी अर्थ व्यवस्था खराब हो जाएगी। या अर्थ व्यवस्था निचले पायदान पर पहुंच जायेगी। अभी -अभी आपने देखा होगा की जब हम करोना की महामारी से (COVID-19) जब गुजर रहे थे तो उसी वक्त हमे हमारी अर्थ व्यवस्था को कृषि ने ही समाले रखा। 


 और पुरे देश को को भूखमरी से बचाया नहीं तो देश में हाहाकार मच जाता। एक तो बीमारी ऐसी थी की उसका कोई इलाज नहीं था दूसरा आने जाने का साधन भी बंद था। फिर भी हमारे देश के किसान अपने -अपने काम में जुटे हुए थे। उन्होंने अपना काम जारी रखा। 

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                    गांव  का सबसे बड़ा धन या मुख्य पूंजी क्या है ?

गांव का सबसे बड़ा धन पशु धन होता है। जिस पर पूरा गांव निर्भर रहता है क्योकि हर किसी के पास खेती नहीं होती है। अगर किसी गांव में सभी के पास खेती होती है तो भी कुछ लोगो के पास इतनी नहीं होती के वो खेती पर निर्भर होकर अपने पुरे परिवार का पालन पोषण कर सके। 

 इसलिय गांव में बहुत से लोग पशुओ को पालकर रखते है। जो पशु दूध देते है उन्ही को पालना गांव के लोगो बहुत पसंद करते है। क्योकि जो गाय या भैंस दूध देती है वो उसको बेचकर अपने परिवार के खर्चे में लाते है। गांव के प्रत्येक घर में आपने पशु पालन जरूर देखा होंगा। 

                                       गांव में दूध का उत्पादन 

गांव में दूध का उत्पादन सर्वाधिक होता है। गांव के लोग सिर्फ अपने खाने के लिए ही दूध घर पर रखते है और शेष दूध को डेरी पर बेच देते है। जो हमारे छोटे बड़े शहरों को चला जाता है इससे एक गांव का व्यक्ति अपना और जो शहरों में रहे रहे है उन तक दूध पहुंचाने का काम करता है। 

 देश का ९९% दूध का उत्पादन केवल गांव द्वारा ही होता है। हमारे देश के गांव का मुख्य धन दूध है जिससे हमारे शरीर का विकास भी होता है। और हमारे पास धन की भी कमी नहीं आती है।  

                                                एक त्यौहार पशुओ के लिए

गांव में एक त्यौहार पशुओ के लिए बनाया जाता है उसे हम गोबर्धन पूजा कहते है। वैसे तो इस त्यौहार की और भी मान्यता है कहते है की श्री कृष्ण ने गोवर्धन नामक पर्वत को उठाया था जब ब्रजवासियो पर इंद्र लेकिन प्रकोप से बचाने के लिए अपनी एक कनकी उगली  पर उठाया था। 

गाँव में ये प्रचलन कुछ और ही है। गांव के सभी परिवार गोवर्धन पूजा को गाय या भैंस के गोवर से इस त्यौहार को मनाते है। यह त्यौहार दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है इसमें गोवर की अजीबो गरीब प्रितमाये बनायीं  जाती है। जिसकी सब लोग पूजा करते है इस दिन भिन्न -भिन्न प्रकार के पकवान भी बनाये जाते है। 

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