दादी की कहानी हमने बहुत सुनी होगी
में आपको दादी की कहानी के बारे में बताता हूँ। बचपन में आपने भी बहुत कहानी सुनी होगी मैंने भी सुनी है। दादी मुझे कहानी और कहावते सुनाया करती थी। जैसे बेटा बताओ अटकती जा मटकती जा गजभर नाडा लटकता जा बताओ ये क्या होता है। में काफी देर सोचता था लेकिन में उसका उत्तर नहीं दे पाता था तो फिर दादी मुझको उसका उत्तर दिया करती थी। बेटा इसका उत्तर है एक सुई। में कहता की दादी ऐसा कैसे तो दादी मुझे सुई को दिखाकर और कपडे को सिलकर बताती थी की कुछ समझ आया तो मेरा दिमाग तुरंत उसे समझ लिया करता था।
ये कैसे चल रही है कभी इधर तो कभी उधर और इसका धागा उसका नाडा है तो में बहुत खुश हुआ करता था। और काफी देर तक हँसता रहता था। इसके बाद फिर दादी मुझसे एक ओर प्रश्न पूछती कली चुने का मकान मोढ़ा एक नहीं। फिर में सोचने लगता लेकिन मुझे उसका उत्तर नहीं पता होता उसके बाद दादी मेरी तरफ देखती फिर कहती की बता फिर में कहता मुझे नहीं पता। दादी मुझसे कहती की एक अड़ा तुमने अड़े को देखा है की वो चारो तरफ से कली चुने का मकान दिखाई देता है लेकिन उसका गेट कहा है।
हम अपने बड़े बुजर्गो को अपना सबसे बड़ा गुरु क्यों मानते है
में सोच में पड़ गया फिर ध्यान दिया की ये बात तो सही है। उसके बाद फिर हँसा और खुश हुआ दादी मुझे इस प्रकार खुश देकर और ज्यादा खुश रहती थी। कहते है की बड़े बजुर्गो की कही हुई बाते हमेशा याद रहती है इसकी बजह यही है की आप कहानी को बड़े दिमाग लगाकर सुनते हो। कहानी सुनने से हमारे दिमाग का विकास होता है और हम अपने बड़े बुजर्गो को अपना सबसे बड़ा गुरु क्यों मानते है क्योकि वो हमसे सही प्रश्न करते और उनका उत्तर भी उदहारण देकर और दिखाकर देते है।
अगर इसी प्रकर से कोई भी प्रश्न बच्चे से पूछा जाए तो वो उसका उत्तर हमेशा याद रखेगा। बच्चा उस प्रश्न को अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता। इसलिए हिंदी भाषा में लोकोक्तियाँ अथवा कहावते और मुहावरे का उपयोग क्यों किया जाता है। इसलिए क्योकि उनको उदाहरण देकर समझया जाता है। और बच्चे की समझ में भी आ जाता है और उसे याद भी रहता है। बच्चे को पढ़ने के साथ साथ उसको कुछ कहानिया भी सुननी चाहिए। अगर आपको कहनी नहीं आती है तो उसे कुछ समय के लिए अपने दादा दादी या नाना नानी के पास छोड़ देना चाहिए।
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