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समास,परिभाषा,भेद व उदाहरण

   समास - परिभाषा, भेद व उदाहरण 

दो या दो से अधिक शब्दों को मिलकर जो स्वतंत्र शब्द बनता है उसे समास कहते है। 

उदाहरण जैसे - गंगा -तट = गंगातट  ,दही -बड़ा = दहीबड़ा  ,राज-कुमार = राजकुमार 

समास को हम संक्षिप्त करना भी कहते है। समास के छ: भेद होते है। 

१. कर्मधारय समास 

२. द्विगु समास

३. बहुव्रहि समास 

४. द्वन्द्व समास  

१. कर्मधारय समास -

जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान और दूसरा उपमेय हो तो ,कर्मधारय समास कहलाता है। 

विशेषण - विशेष्य :

महाराजा - महान है जो राजा 

महापुरुष - महान है जो पुरुष 

नीलगगन - नीला है जो गगन 

नीलाम्बर - नीला है जो अम्बर 

लालमिर्च - लाल है जो मिर्च 

महात्मा - महान है जो आत्मा 

पीताम्बर - पीला है जो कपड़ा 

नीलगाय - नीली है जो गाय

पुरुषोत्तम - पुरषो में है जो उत्तम 

कुबुद्धि -बुरी बुद्धि 

दुष्चरित - बुरा चरित्र  

महाविद्यालय - महान है जो विद्यालय 

महाकवि - महान है जो कवी 

वन मानुष - वन में निवास करने वाला मनुष्य 

२. द्विगु समास  -

जिस समास में पहला पद गिनती बताने वाला हो ,दोनों पदों के बीच विशेषण -विशेष्य सम्बंद हो और समस्तपद समूह या समाहार का ज्ञान कराय , उसे द्वन्द्व समास कहते है। 

जैसे -उदाहरण 

तिरंगा - तीन रंगो का समाहार 

दोपहर - दो पहरो का समाहार 

चौराहा - चार पदों का समूह 

शताब्दी - सौ वर्षो का समूह 

पंचपात्र - पांच पत्रों का समूह 

दुरहा - दो रहो का समूह 

नवग्रह - नौ ग्रहो का समूह 

त्रिफला - तीन फलो का समूह 

चौमासा - चार मासों का समूह 

पंचतत्व - पाँच तत्व का समूह 

सप्ताह - सात दिनों का समूह 

अष्टध्यायी - आठ अध्याय का समूह 

त्रिकोण - तीन कोणों  का समूह 

दशावतार - दस अवतारों का समूह 

सप्तद्वीप - सात द्वीपो  का समूह 

३. बहुव्रहि समास -

जिस समास में न तो पहला पद प्रधान होता है ,न उत्तर पद इसमें किसी अन्य पद का विशेषण होता है ,उसे बहुव्रहि समास कहते है। जैसे उदहारण -

दशानन - दस है मुख जिसके (रावण )                                                                                               

चतुर्भुज - चार है भुजाएँ जिसकी (विष्णु ) 

नकटा - नाक कटी है जिसकी 

कनफटा - कान फटा है जिसका 

अनाथ -जिसका कोई न हो 

चारपाई - चार है पाय जिसके अर्थात (खाट )

कुरूप - जिसका कोई रूप न हो 

लमकना -लम्बे हों कान जिसके अर्थात (चूहा )

अजातशत्रु - जिसका कोई शत्रु न हो 

षट्कोण - छः कोण है जिसमे 

अष्टकोण - आठ कोण है जिसमे 

इंद्रजीत - इन्द्र को जित लिया जिसने 

४. द्वन्द्व समास -

जिस समास में दोनों पद सामान हो ,वहॉँ द्वन्द्व समास होता है। द्वन्द्व समास में दो शब्दों का मेल होता है। जैसे -

देश - विदेश                      देश और विदेश 

स्त्री - पुरुष                         स्त्री और पुरुष 

हरा - भरा                           हरा और भरा 

छोटा - बड़ा                       छोटा और बड़ा 

ऊंचा - नीचा                      ऊंचा और नीचा 

रात - दिन                          रात और दिन 

खट्टा - मीठा                      खट्टा और मीठा    

नदी - नाले                         नदी और नाले 

लव - कुश                         लव और कुश 

राधा - कृष्ण                       राधा और कृष्ण 

गुण - दोष                          गुण और दोष 

जल - थल                          जल और थल 

गांव - शहर                       गांव और शहर 

पिता - पुत्र                         पिता और पुत्र 

भूख - प्यास                       भूख और प्यास 

भाई - बहन                       भाई और बहन 

भला - बुरा                        भला और बुरा 

लाभ - हानि                       लाभ और हानि 

उल्टा - सीधा                    उल्टा और सीधा 



  







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