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भारत में बिजली का इतिहास

     बिजली का उपयोग गांव में कितना जरुरी 

एक गांव के लिए बिजली कितनी जरुरी और फायदे मंद हो गयी। गांव के लोगो से जाकर आप मालूम कर सकते है। मुझे भी मालूम है में जनता क्योकि मैंने भी एक गांव में जन्म लिया है। में आपको पुराने समय की बात बताता हूँ।  लगभग ३० साल पहले जब किसी किसी गांव में बिजली होती थी। जब किसी गांव में बिजली आने का पता चलता था तो उस गांव के लोग इतने खुश हो जाते थे की जैसे उनके गांव में किसी प्रकार का उत्सव होने वाला है। और एक दूसरे से अपने गांव की तरक्की के बारे में कहते नजर आते थे।  


गांव में जब बिजली नहीं थी ,  मनोरंजन,समाचार और गाने





                    गांव में जब बिजली नहीं थी 


 गांव में बिजली नहीं थी। उस समय प्रत्येक घर में मिटटी के तेल से कांच की बनी हुई जिसे डिबिया बोलते थे वो जलाई जाती थी। उस समय घर भी मिटटी और घास फूस के बने होते थे। उस समय तेल का भी काफी खर्च हुआ करता था। मिटटी का तेल भी एक महीने में एक बार मिलता था। वो भी घर के सदस्यो के अनुसार जिस घर में जितने सदस्य हो या जिनके जितने घर हो उसी हिसाव से मिलता था।  

और चार पांच गांव का तेल किसी ऐसे गांव मिलता था जो केंद्र में आता हो। हमारे गांव में भी तेल वितरित नहीं होता था। हमे भी दूसरे गांव जाकर तेल लाना पड़ता था। उस समय रोशनी की बहुत बड़ी समस्या थी। कभी कभी तो गांव के घरों मे आग भी लग जाती थी। क्योकि घास फूस आग को जल्दी पकड़ लेते थे।  


कभी कभी तो घर का तेल भी ख़त्म हो जाया करता था। और फिर एक दूसरे से उधार माँगकर काम चलना पड़ता था। उधार लेने के लिए जिससे हम उधार लेते थे उसे कहते थे की अगले महीने में आपको दे दूंगा। इस  प्रकार से अगले महीने हमे बड़े सोच समझकर उस तेल का इस्तेमाल करना पड़ता था। क्योकि जो हमने उधार लिया और जो हमे इस्तेमाल करना है। क्योकि तेल तो हमे जरूरत के अनुसार मिला है।  

इसलिए प्रत्येक गांव के लोग रात होने से पहले खाना खा लिया करते थे। और जल्दी सो जाया करते थे और सुबह जल्दी जाग जाया करते थे। उस समय हर चीज की समस्या थी। जैसे खाने पीने की समस्या गांव में बिजली न होना खाने के लिए आटा पिसवाने की समस्या कई कई दिन लग जाते थे। केवल आटा पिसवाने में क्योकि जिन गांवो में बिजली नहीं होती थी तो उस गांव के लोग दूसरे गांव में जाकर आटा पिसवाना पड़ता था। जिस गांव में बिजली होती थी।  

उस समय गांव के लोगो में प्यार मुहब्बत काफी थी। इसलिए तो एक दूसरे का सही समय पर काम चला दिया करते थे। इतनी उपयोगिता न होने के कारण भी लोग बड़ी ख़ुशी के साथ एक दूसरे से मिलकर रहते थे। कभी किसी को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं उठानी पड़ती थी। एक दूसरे का काम बड़ी आसानी से कर लिया जाता था। एक दूसरे की सहायता करके। 

                 मनोरंजन,समाचार और गाने 


उस समय गांव में मनोरंजन का बड़ा ही महत्व था। रेडियो तो लगभग हर घर में देखने को मिलता था। क्योकि उसे  चलाने के लिए बिजली की जरुरत नहीं होती थी। और टेलीविजन तो किसी किसी के पास हुआ करता था। वो भी सादा टीवी उसमे कलर नहीं आते थे वो काला और सफ़ेद हुआ करता था। अगर किसी को फिल्म या कुछ नाटक देखने होते थे तो सभी मिलकर एक बैटरी को किराय पर लेकर देख लिया करते थे।  

उस समय टेलीविजन बैटरी से चलता था। उस समय टेलीविजन देखने का अलग ही मजा था। क्योकि सभी एक स्थान पर पैठकर टेलीविजन देखा करते थे। और बड़ी ही उत्सुकता से अपने मनोरंजन का आनन्द लिया करते थे।  उस समय केवल दूरदर्शन एक ही चैनल आया करता था। उस समय रामायण का बड़ा ही प्रचलन था। रामायण केवल सप्ताह में एक बार आया करती थी। 

वो भी रविवार के दिन ९ बजे उस दिन गांव के सभी लोग अपना अपना काम समय से पहले कर लिया करते थे।  और बड़ी ही उत्सुकता से रामायण देखा करते थे। रामायण जब आती थी तो  लोगो की बड़ी ही भीड़ लग जाती थी मानों किसी प्रकार का मेला लगा हो।  

                             जब गांव में बिजली पहुंची 


जब गांव में बिजली आने का समाचार मिला तो गांव के लोगो में बड़ी ही खुसी की लहर उत्पन्न हुई। और जब पुरे गांव में तार और खम्बे लगा दिए गए उस समय और भी गांव के लोगो के चेहरे पर बहुत ही ख़ुशी देखने को मिली।  और जब गांव में बिजली आने लगी उस समय मानों लोगो के दिल फुले नहीं समा रहे थे। 

गांव  के सभी व्यक्तियों ने अपने अपने घरो में बिजली लगाने के लिए बिजली का वो सभी सामान लाने लगे। जो भी बिजली में प्रयोग में आता है। उस समय काँच का बल्ब लगाया जाता था। जो उस समय १०० वाट का होता था। उस समय किसी भी गांव में बिजली के मीटर नहीं हुआ करते थे। जब मेरे घर में बल्ब जला तो मानो मेरे पुरे परिवार के दिलो में एक उजाला पैदा हो गया था। 

और बिजली भी फ्री हुआ करती थी। पूरे गांव के लिए बिजली एक ही स्थान से आती थी या एक ही ढोल (ट्रांसफार्मर ) से। अब गांव में हर घर में रोशनी का माहौल था। और गांव के लोगो का खुशी का ठिकाना नहीं था। अब सब कहने लगे की अब हमारा जीवन सफल हो गया। उसके बाद आटे की चक्की भी लगने लगी और फिर हमे किसी दूसरे गांव में जाने की आवश्यकता नहीं हुई। 

कभी कभी बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती थी जब ट्रासफार्मर ख़राब हो जाया करता था। उस समय लोगो में दुःख देखने को मिलता था। बिजली विभाग से भी कोई कार्यवाई नहीं देखने को मिलती थी। लेकिन उस समय  बिजली को लेकर लोग गंभीर हो जाया करते थे। और सभी मिलकर पैसा इकठा करके ट्रांसफॉर्मर को सही कराते थे 

और हमारी सारी समस्या दूर हो गई। इस पैराग्राफ को पढ़ने से आपको अपने पूर्वजो की याद आ जायेगी की उन्होंने किस प्रकर अपने जीवन को जिया और किस प्रकार की समस्याओ को झेलकर वो अपने जीवन को साकार कर गए।  



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