एक अच्छे विद्यार्थी में पांच सदगुण लक्षण होने चाहिए। जैसा की संस्कृत के एक स्लॉग में लिखा गया है।
काकचेष्टा बकध्यानं, श्वाननिद्रा तथैव च।
स्वल्पाहारी ब्रह्मचारी, विद्यार्थी पंचलक्षणम्।। काकचेष्टा - जैसे एक कौआ अपने आप को बहुत चालक समझता है। और पलक झपकते पहचान लेता है की मेरे साथ क्या होने वाला है।
बकध्यानं - बगुले जैसा ध्यान रखना चाहिए जिस प्रकार बगुला अपने आप को पानी में मछली को पकड़ने के लिए धीरे - धीरे आगे बढ़ता है। उसी प्रकार एक विधार्थी को भी धीरे - धीरे आगे बढ़ता रहना चाहिए।
श्वाननिद्रा - कुत्ते जैसी नींद होनी चाहिए। कुत्ता कभी भी गहरी नींद में नहीं सोता है। उसे थोड़ा सा भी तिनके के गिरने का भी ऐहसास हो जाता है।
स्वल्पाहारी - कम भोजन खाना चाहिए जिससे नहीं आये क्योकि ज्यादा भोजन करने से नींद जल्दी आ जाती है।
ब्रह्मचारी - एक अच्छे विधार्थी को अपने गुरु जनो की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
ये पांचों गुण विधार्थी में हमेशा होने चाहिए।
0 टिप्पणियाँ