कोई काम छोटा और बड़ा नहीं होता है। हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए की यह काम हमरे लिए बहुत ख़राब है। परन्तु हमें यह सोचना चाहिए की यह काम बहुत उपयोगी है हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए फल तो हमें मिल ही जायेगा अगर हम कर्म करते है तो फल तो मिलगा ही जैसा की इस उदारण में लिखा गया है।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ इसी प्रकार दूसरा उधारण है। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
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