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एक समय की बात है

                    एक समय की बात है                                     

 समय समय की बात होती है कुछ परिस्थिया भी इंसान को मजबूर कर देती है। एक समय की बात है जब हमारा बचपन था और हम बहुत मौज मस्तिया किया करते थे। कुछ खेल भी खेला करते थे लेकिन आज भी ऐसा होता है।  बचपन के वो अनमोल लम्हा याद आ ही जाते है। हर व्यक्ति के जीवन में एक न एक पल ऐसा होता है की वो उसे जिंदगीभर भूल नहीं सकता। हमारी जिंदगी का वो अनमोल पल में आपको बताता हूँ।   

हम काफी बच्चे समूह बनाकर खेल खेला करते थे। जिसमे एक खेल था  चोर - सिपाही का हमारे समूह में एक लड़का जिसका नाम वीरेन्द था वह हमेशा सिपाही ही बनता था। इस खेल में ऐसा होता था की आपको दो समूह बनाकर खेलना होता था। और दोनो समूह में बराबर बराबर सदस्य होते थे। एक बार एक सदस्य के समहू को चोर  और दूसरे समूह को सिपाही बनाना पड़ता था। यह प्रकिया अदलती बदलती रहती थी। लेकिन वीरेंद्र अपने  समूह को नहीं बदलता था इसमें काफी झगडे और कहा सुनी भी हुआ करती थी लेकिन उसके बाबजूद वह किसी की भी नहीं सुनता और अपनी ही जिद पर अड़ा रहता था। 

                 ऐसे भी मोड़ जिंदगी आ जाते है

लेकिन उस समय हमने उसे अपने खेल से नहीं हटाया क्योकि हमे उस समय अपना समय बिताना और खेल खेलना था। काफी लोग दोनो समूह से कहते थे की इसको बहार कर दो  इस पर खेलना नहीं आता है। कभी कभी ऐसे भी मोड़ जिंदगी आ जाते है। उसकी सोच अपने आप में बहुत अच्छी थी वो बात हमे कुछ बड़े होने पर पता चली क्योकि में आपको एक बच्चे की बात बता रहा हूँ। कि बच्चे में भी सही भावनाये होती है वह भी जानता है की गलत संगति का असर गलत ही होता है।  

 वो जानता था की अगर में अपने दिमाग को सही डंग से सोचकर सही रस्ते पर चलूँगा। तो ही मुझे सही मंजिल  मिलगी अगर में गलत रास्ता अतिहार करूँगा तो में गलत रस्ते पर ही जा सकता हूँ। में आज भी उसकी अच्छी भावनाओं से प्रेरित हूँ। हमे हमेशा अच्छा ही करना चाहिए और बुराई से हमेशा दूर रहना चाहिए। तभी हमे कुछ हाशिल हो सकता है। अच्छा रास्ता कठिन और कड़बा जरूर होता है लेकिन उसका फल मीठा होता है।  

                       बुराई एक दलदल के समान है 

 बुरा काम सरल और सुखद जरूर है लेकिन अगर आदमी इसमें एक बार फस तो ओर फसता चला जाता है।  बुराई एक दलदल के समान है जैसे दलदल में आदमी धस्ता चला जाता है वह अपने आप को निकल नहीं पता है।  उसे कोई ओर ही निकल सकता है फिर भी वो व्यक्ति दलदल से निकल भी गया तो भी उस पर कीचड़ तो लग ही जायेगा। बुरा मत सुनो ,बुरा मत देखो ,बुरा मत कहो ये तीन चीज अगर इन्सान के अंदर है तो वो सही इंसान कहलाता है।  





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