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कोच एंड टीचर मे अंतर

प्रशिक्षक (Coach )

हर व्यक्ति में एक प्रकार की योग्यता होती है उस योग्यता को निखारने बाले व्यक्ति को कोच कहते है। जैसे आप समझ सकते है कोई भी व्यक्ति या आप कहे सकते है विद्यार्थी अपनी पढ़ाई करते समय अपने आप को और निखारने के लिए या अपनी ज्ञान को ओर उजागर करने के लिए किसी अनुशिक्षण का सहारा लेता है। जिससे  उसका ज्ञान और भी उत्सर्जित हो जाता है। और उसको प्रोत्साहन भी मिलता है। 

प्रशिक्षक ही है जो अपने अनुशिक्षण के साथ हमेशा खड़ा रहता है और समय समय पर उसको नई -नई  जानकारी साझा करता है। वह हर जानकारी को व्यावहारिक रूप से सिखाता है। वह समय समय पर उनकी परीक्षा लेता है। और जो कमियां परीक्षा में देखता है उनको दोबारा बारीकी से देखता फिर उन कमियों को दूर करने का प्रयास करता है।

हर समय एक प्रशिक्षक अपने अनुशिक्षण पर निगहा रखता है। जिस प्रकार खिलाड़यों के लिए भी कोच इसलिए ही बनाया जाता है जो उनकी सभी छोटी से छोटी कमी को दूर किया जा सके। जिस व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत ज्यादा या कहे सकते है की उसने अपना सारा जीवन उसी विषय में लगा दिया हो तो ही वह अच्छा कोच हो सकता है। उसे उस विषय में काफी अच्छा ज्ञान हो तभी वो दुसरो को प्राक्षिकत कर सकता है।

अध्यापक (Teacher)

शिक्षक (टीचर) वो किसान है जो दिमाग में ज्ञान के बीज बोता है। अध्यापक हमारे जीवन को अनमोल ज्ञान देता है  अध्यापक को माता पिता और भगवान के समान माना गया है। जिस प्रकार से किसान अपने खेत में बीज को बोता है और उसकी देख रेख करता है लेकिन उसे पता नहीं होता की मेरी फसल सही या खराब  पैदा होगी। किसान अपनी सारी मेहनत पूरी फसल में लगा देता है। वो अपनी फसल को एक बच्चे के सामान पालता है। जैसे जैसे उसकी फसल बड़ी होने लगती है तो उसका मन भी  हरा हो जाता है। 

 कभी भी वह अपनी फसल में खाद पानी की कमी नहीं होने देता। उसी प्रकार से अध्यापक को भी पता नहीं होता है की उसके विध्यार्थी आगे चलकर क्या बनेगे वह भी समय समय पर उन्हें प्रोत्साहित करता है। उन्हें गुरु की भी कहते है आचार्य भी उनके अनमोल प्रवचन ही हमारे जीवन को उजागर करते है। और हमे हर प्रकार की कठिनायों को सहन करने की प्रेरणा देते है। 

 क्योकि गुरु ही एक ऐसा मार्ग दर्शक है जो हमे सही रास्ता दिखता है। इस लिए कहते की  बिना गुरु ज्ञान कहा।  गुरु एक कुम्हार  की तरह होते हे जिस प्रकार एक कुम्हार वर्तन बनाने के लिए मिटटी को काफी तरह से तरासता है उसे चोट भी देता है तभी तो वो सही प्रकार से उसे एक सुन्दर और सुडोल आकर देकर आने वाली पीढ़ी के लिए या वर्तमान में प्रयोग होने वाली वस्तु बनाकर उसे सारे संसार के लिए उपयोगी बनता  है। 


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