खुद पर भरोसा क्यों नहीं होता
खुद पर भरोसा क्यों नहीं होता है। जिस इंसान को अपने आप पर भरोसा नहीं होता है क्योकि वो आत्मनिर्भर नहीं होता है। जो इंसान दुसरो पर निर्भर रहता है उसे अपने आप पर भरोसा नहीं होता है। कभी कभी व्यक्ति ऐसे भंवर में फस जाता है कि वो अपनी कमजोरी को दुसरो के ऊपर डाल देता है। और कहता है की यह तुम्हारी कमी के कारण हुआ है। अब इसे तुम ही समझो। ऐसा क्यों होता है दोस्तों में आपको बताता हूँ।
मेहनत तो सभी करते है कोई काम करता है तो कोई अधिक लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सफलता सभी को मिल जाती है। क्योकि हर इंसान के काम करने का ढंग अलग अलग होता है। कोई तो मन लगाकर मेहनत करता है तो कोई केवल अपने शरीर से या उसका दिल उस काम में लगता ही नहीं इस प्रकार से मेहनत करता है। सिर्फ फर्क यही है जो लोग अपने मकसद में कामयाव हो जाते है वो मन लगाकर अपने जीवन में बहुत अधिक मेहनत करते है। इंसान हमेशा किस्मत को ही दोष देता रहता है।
ऐसा उसके दिमाग में क्यों पैदा होता रहता है। इसका भी में आपको उत्तर देता हूँ जब इंसान जन्म लेता है तो उसी समय से उसका दिमाग इन परिस्थितियों में ढलना शुरू हो जाता है वह अपने माता पिता से ही या उस समय जो भी बड़े बूढ़े होते है उन्ही से सीखता है। इस प्रकार से उसके जीवन और दिमाक में एक तरह का परिवर्तन उत्पन हो जाता है। में मानता हूँ कि किस्मत होती है लेकिन किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जो हमेशा मेहनत करते है।
कुछ लोग कहते है की किस्मत का खेल निराला होता है निराला तो तभी होता है जब आप कुछ ऐसा काम करो। देखो आप ने मेहनत भी कर ली लेकिन आपको कामयावी नहीं मिली तो क्या आप किस्मत के भरोसे ही रहोगे आपको हमेशा प्रयास करते रहना जरुरी है। में आपको एक चींटी की कहानी बताता हूँ। आपने कभी चींटी को देखा होगा। वो अपने से कही अधिक बजन को लेकर किसी दीवार पर जब चढ़ती है तो वह गिरती फिर चढ़ने का प्रयास करती फिर गिर जाती है ऐसे करते करते उसे काफी चोट भी खानी पड़ती है।
फिर भी वह अपना प्रयास जारी रखती है। और कुछ समय के बाद उसे उस का फल भी मिल जाता है अपने और मकसद में कामयाब हो जाती है। क्योकि उसे अपने आप पर दृढ़ विश्वास है तभी तो वह प्रयास करती है। इसे कहते है आत्मनिर्भर बनना जब एक छोटी चींटी अपने काम को करती है तो हम क्यों नहीं कर सकते।
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